गजब हाल! दिल्ली में मोहल्ला क्लीनिक में थर्मामीटर तक नहीं; कैग रिपोर्ट में कई चौंकाने वाले खुलासे

दिल्ली विधानसभा सत्र के दौरान पेश की गई कैग रिपोर्ट में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। रिपोर्ट में पाया गया कि मोहल्ला क्लीनिकों में थर्मामीटर तक भी नहीं है। ऐसे में जांच के आधार पर अगर कार्रवाई होती है तो आम आदमी पार्टी (AAP) की मुश्किलें बढ़ कती हैं। आगे विस्तार से पढ़िए आखिर कैग रिपोर्ट में और क्या-क्या सामने आया है।

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राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। आप सरकार ने आम आदमी मोहल्ला क्लीनिक को स्वास्थ्य का नायाब मॉडल बताकर बेशक राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियां बटोरीं, लेकिन कैग रिपोर्ट ने उसके दावों की पोल खोल दी है। 

सामने आई डॉक्टरों की बड़ी लापरवाही

रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली की प्राथमिक स्वास्थ्य सुविधाएं चरमरा चुकी हैं। मोहल्ला क्लीनिक, डिस्पेंसरी सहित सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) डॉक्टरों, कर्मियों, दवाओं और बुनियादी सुविधाओं की कमी से जूझ रहे हैं। मोहल्ला क्लीनिकों में थर्मामीटर, ब्लड प्रेशर जांच की मशीन, ग्लूकोमीटर जैसे सामान्य उपकरण भी नहीं हैं। अधिकतर मरीजों की जांच में डॉक्टर एक मिनट भी नहीं देते हैं और बिना जांच के दवा दे दी जाती है। 

पेश की जाएगी कैग रिपोर्ट

स्वास्थ्य विभाग की कैग रिपोर्ट शुक्रवार को विधानसभा में पेश की जाएगी। कैग रिपोर्ट में कहा गया है कि मार्च, 2017 तक 1,000 मोहल्ला क्लीनिक बनने थे, जबकि मार्च, 2023 तक 523 ही खुल पाए। इनमें भी शाम की पाली के 31 क्लीनिक हैं। 

मोहल्ला क्लीनिक में 75% से भी कम आवश्यक दवाएं

वहीं, 31 मार्च, 2020 के बाद तीन वर्षों में सिर्फ 38 क्लीनिक बन पाए। कैग ने चार जिलों के 218 मोहल्ला क्लीनिकों का ऑडिट किया है। कैग ने 74 क्लीनिक का संयुक्त रूप से भी निरीक्षण किया और पाया कि 53% (39) मोहल्ला क्लीनिक में 75% से भी कम आवश्यक दवाएं हैं। अक्टूबर, 2022 से मार्च, 2023 के बीच इलाज के लिए पहुंचे 70 प्रतिशत मरीजों को एक मिनट से भी कम समय दिया गया। 

ये हाल देख हर कोई हैरान

वहीं, मोहल्ला क्लीनिक मोबाइल हेल्थ योजना, डॉक्टरों, एनएनएम, फार्मासिस्ट की कमी से जूझ रही है और इन दोनों योजनाओं के लिए आवश्यक सूची में दर्ज 100 दवाओं में से 76 दवाएं सेंट्रल स्टोर में नहीं है। यानी आवश्यक दवाओं के बगैर ही मोबाइल हेल्थ योजना चल रही है। 

यह भी पढ़ें- दिल्ली में रेखा गुप्ता सरकार का बड़ा एक्शन, अब इस मामले की होगी जांच; PWD मंत्री ने दिए आदेश

वहीं, वर्ष 2016-17 से 2021-22 के बीच पीएचसी के निर्माण के लिए 35.16 करोड़ रुपये आवंटित हुए, जिसमें 9.78 करोड़ ही खर्च हो सके। 

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