Ayodhya Blast: नहीं चेता रामकुमार और स्वाहा हो गया परिवार… धरा रह गया शादी का सपना; दफनाए गए तीनों मासूम

अयोध्या के पूराकलंदर इलाके के पगलाभारी गांव में बृहस्पतिवार शाम हुए पहले धमाके के चार घंटे बाद बचाव कार्य के दौरान फिर धमाका हुआ। धमाका इतना जबर्दस्त था कि 50 मीटर दूर खड़े लेखपाल आकाश सिंह गंभीर रूप से घायल हो गए। उन्हें लखनऊ के निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया है। वहीं 17 घंटे बाद मलबे के नीचे से एक महिला का शव बरामद हुआ। इससे धमाकों में मरने वालों की संख्या छह हो गई है।

अयोध्या के रामकुमार गुप्ता को मौत ने दो-दो बार चेतने का मौका दिया, लेकिन उसने सबक नहीं लिया। लिहाजा इस बार उसका पूरा परिवार स्वाहा हो गया। उसकी चिता को अग्नि देने वाला परिवार में कोई नहीं बचा तो साले ने अंतिम संस्कार किया। वहीं, नम आंखों से तीनों मासूम बच्चों को सरयू तट पर दफनाया गया। मूलरूप से बस्ती के रहने वाले लाल बहादुर लगभग पांच दशक पूर्व पूराकलंदर के पगलाभारी में रहने लगे थे। ग्रामीणों के अनुसार वह सीधे और सरल थे। लगभग छह साल पहले उनकी मौत हो गई थी। उनका इकलौता बेटा रामकुमार आटा चक्की चलाता था और आतिशबाजी का सामान बेचता था।

वर्ष 2023 में दीपावली पर संदिग्ध परिस्थितियों में उसके घर में आग लगी थी, जिसमें उसकी मां शिवपता लगभग 60 फीसदी जल गई थीं। परिवार के अन्य लोग बच गए थे। ग्रामीणों के अनुसार, उस समय भी पटाखा बनाते समय हादसा हुआ था।

इस घटना से उसने सबक नहीं लिया। इसके बाद 13 अप्रैल, 2024 को हुए धमाके में पूरा मकान गिर गया था। हादसे में चक्की पर आटा लेने आई गांव के रामकुमार कोरी की बेटी प्रियंका (19) की मौके पर मौत हो गई।

धमाके में घायल मां शिवपता (65) की अगले दिन और छठवें दिन उसकी पत्नी बिंदु की मौत हो गई थी। इस घटना में गंभीर रूप से झुलसा रामकुमार लंबे इलाज के बाद अपने तीनों बच्चों को लेकर वापस लौटा तो अपनी रिश्तेदारी में चला गया।

वहां से लौटने पर ग्रामीणों ने गांव के अंदर मकान बनाने का विरोध किया तो उसने गांव के बाहर सड़क पर ही जमीन खरीदकर घर बनवाया। उसी में वह बच्चों संग रहने लगा। अपनी आदतों में सुधार न करने से इस बार भी वह विस्फोट का शिकार हुआ, जिसमें उसका पूरा परिवार समाप्त हो गया।

नवंबर-दिसंबर तक वंदना के शादी की थी तैयारी
रामकुमार की पहली पत्नी बिंदु की मौत के बाद मायके वालों ने उसकी साली वंदना को तीनों बच्चों की देखरेख के लिए भेज दिया। वह मां की तरह बच्चों की देखभाल करती थी। बाद में परिजनों की राय पर वह रामकुमार से शादी करने को राजी हो गई थी। वंदना के भाई आलोक ने बताया कि नवंबर-दिसंबर तक उनकी शादी कराने की तैयारी थी, लेकिन उससे पहले ही सब कुछ बर्बाद हो गया।

साले ने लगाई चिता में आग
जमथरा श्मशान घाट पर रामकुमार और वंदना का अंतिम संस्कार किया गया। रामकुमार के साले आलोक ने ही दोनों की चिता को आग लगाई। आलोक ने बताया कि रामकुमार का क्रिया-कर्म अब उनके पट्टीदार करेंगे। जबकि, वंदना के सभी कर्मकांड सुल्तानपुर स्थित उनके आवास से संपन्न होंगे।

घटना के बाद से पुलिस गैस सिलिंडर धमाके का दावा कर रही है, लेकिन ग्रामीण मानने को तैयार नहीं हैं। उनके अनुसार ये धमाके बारूद की वजह से हुए हैं। वहीं बचाव कार्य के दौरान दूसरा धमाका कैसे हुआ, इस पर पुलिस का कहना है कि जांच रिपोर्ट आने के बाद ही कारणों का पता चलेगा।

Source of News:- amarujala.com

प्रथम दृष्टया गैस सिलिंडर से विस्फोट की जानकारी मिली है। बम डिस्पोजल स्क्वायड और फोरेंसिक समेत कई टीमों ने मौके से नमूने लिए हैं। उनकी रिपोर्ट मिलने पर ही तस्वीर साफ होगी।

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