Bihar EOU Raids: घूसखोर इंजीनियर पर कसा शिकंजा, पटना से समस्तीपुर तक छापेमारी; क्या है 3 करोड़ का मामला?

आर्थिक अपराध इकाई (EOU) ने बिहार में बिजली विभाग के अधीक्षण अभियंता विवेकानंद के पटना, सिवान और समस्तीपुर स्थित ठिकानों पर छापेमारी की है. उन पर आय से 2.74 करोड़ रुपये यानी 78% अधिक अवैध संपत्ति अर्जित करने का आरोप है. यह कार्रवाई भ्रष्टाचार के खिलाफ एक बड़ी सफलता मानी जा रही है.

पटना/समस्तीपुर: बिहार में भ्रष्टाचार के खिलाफ चल रही मुहिम के तहत, आर्थिक अपराध इकाई (EOU) ने विद्युत विभाग के अधीक्षण अभियंता विवेकानंद के ठिकानों पर बड़ी छापेमारी की है. उन पर आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने का आरोप है, जिसकी कुल राशि 2 करोड़ 74 लाख रुपये बताई जा रही है. यह राशि उनकी वैध आय से करीब 78% अधिक है। EOU की टीम ने एक साथ पटना, सिवान और समस्तीपुर में उनके आवास और अन्य ठिकानों पर तलाशी अभियान चलाया है.


जानकारी के अनुसार, विवेकानंद वर्तमान में नॉर्थ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी (NBPDCL) में अधीक्षण अभियंता के पद पर समस्तीपुर में कार्यरत हैं. EOU को लंबे समय से उनके खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायतें मिल रही थीं, जिसके बाद एक गुप्त जांच शुरू की गई. जांच में पाया गया कि उन्होंने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए बड़े पैमाने पर अवैध संपत्ति जमा की है. इसके बाद, EOU ने विशेष कोर्ट से सर्च वारंट प्राप्त कर छापेमारी की कार्रवाई शुरू की.

छापेमारी के दौरान, EOU की टीम को कई महत्वपूर्ण दस्तावेज और संपत्ति के कागजात मिले हैं, जो उनकी अवैध कमाई का खुलासा करते हैं. पटना, सिवान और समस्तीपुर में स्थित उनके आवासों से जमीन, फ्लैट, बैंक खातों और अन्य निवेशों से संबंधित कागजात जब्त किए गए हैं. प्रारंभिक जांच में यह बात सामने आई है कि उन्होंने यह संपत्ति अपने और अपने परिवार के सदस्यों के नाम पर खरीदी है. डीएसपी स्तर के अधिकारी इस छापेमारी का नेतृत्व कर रहे हैं और सभी ठिकानों पर गहन तलाशी जारी है.

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EOU के अधिकारियों ने बताया कि यह कार्रवाई भ्रष्टाचार के खिलाफ सरकार की जीरो टॉलरेंस की नीति का हिस्सा है. विवेकानंद पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है और आगे की जांच जारी है. इस मामले में और भी कई लोगों के शामिल होने की संभावना है. EOU का मानना है कि छापेमारी पूरी होने के बाद अवैध संपत्ति की कुल राशि और भी बढ़ सकती है. यह कार्रवाई बिहार के सरकारी विभागों में व्याप्त भ्रष्टाचार को उजागर करती है और यह एक संदेश भी देती है कि भ्रष्ट अधिकारियों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा.

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