
Green Firecrackers Sale in Delhi-NCR: पटाखा निर्माताओं ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि दीवाली के बाद दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण की मुख्य वजह पराली जलाना और वाहनों का पॉल्यूशन है.
Firecrackers Ban in Delhi-NCR: क्या दीवाली से पहले दिल्ली-एनसीआर में पटाखों की बिक्री पर लगी रोक हटा दी जाएगी? इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार (10 अक्टूबर, 2025) को सुनवाई करेगा. कोर्ट ने तीन अप्रैल को दिल्ली एनसीआर में पटाखों के निर्माण, भंडारण और बिक्री पर पूरी तरह रोक लगा दी थी, जिसे पटाखा निर्माताओं ने भेदभावपूर्ण बताया है. 26 सितंबर को एक अहम फैसला सुनाते हुए वैध सर्टिफिकेशन वाले निर्माताओं को एनसीआर में ग्रीन पटाखों के उत्पादन की अनुमति दी गई थी, लेकिन शर्त ये थी कि बिक्री दिल्ली-एनसीआर में नहीं हो सकती.
सुप्रीम कोर्ट पटाखा निर्माताओं की ओर से दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है, जिसमें प्रतिबंध में ढील देने और ग्रीन पटाखे बेचने की अनुमति देने का अनुरोध किया गया है. दीवाली नजदीक होने की वजह से यह मामला और भी रोचक हो गया है और पटाखा निर्माताओं की भी मांग है कि दीवाली की वजह से मामले पर जल्दी फैसला लिया जाए.
पिछली सुनवाई में केंद्र का पक्ष रखते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था, ‘हमें स्वच्छ हवा के अधिकार और पटाखा उद्योग में काम करने वालों के रोजगार के अधिकार के बीच संतुलन ढूंढना होगा. इसके लिए हमें थोड़ा और समय चाहिए.’ इस मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश भूषण रामकृष्ण गवई (CJI BR Gavai) और जस्टिस के विनोद चंद्रन की बेंच को बुधवार को करनी थी, लेकिन केंद्र का प्रस्ताव सुनने के लिए कोर्ट ने सुनवाई शुक्रवार के लिए टाल दी.
ग्रीन पटाखा निर्माताओं की ओर से सीनियर एडवोकेट बलवीर सिंह ने तर्क दिया कि सुप्रीम कोर्ट का तीन अप्रैल का आदेश भेदभावपूर्ण है, जिसमें पटाखों के निर्माण, भंडारण और बिक्री पर पूरी तरह से रोक लगाई गई थी. उनका कहना है कि दिल्ली की सर्दियों में प्रदूषण का मुख्य कारण पराली जलाना और वाहनों का प्रदूषण है न कि पटाखे. उन्होंने कहा कि इसे लेकर कोई वैज्ञानिक अध्ययन नहीं है जो साबित करता हो कि पटाखों से प्रदूषण में बड़ी वृद्धि होती है.
पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर दीवाली से पहले सुनवाई की जानी चाहिए, जिसके बाद पीठ ने सुनवाई के लिए शुक्रवार की तारीख तय की. आज की सुनवाई में दिल्ली-एनसीआर में ग्रीन पटाखों के निर्माण और बिक्री से संबंधित मुद्दों पर भी सुनवाई होनी है. कोर्ट ने केंद्र से दिल्ली-एनसीआर में पटाखों के निर्माण पर पूर्ण प्रतिबंध पर नए सिरे से विचार करने को कहा है.
कोर्ट ने पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MOEFCC) को अंतिम निर्णय पर पहुंचने से पहले दिल्ली सरकार, निर्माताओं और विक्रेताओं समेत सभी हितधारकों से परामर्श करने का भी निर्देश दिया. पटाखा निर्माताओं ने दावा किया है कि उनके पास नेशनल एनवायरनमेंटल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (NEERI) और पेट्रोलियम एंड एक्सप्लोसिव सेफ्टी ऑर्गेनाइजेशन (PESO) से ग्रीन पटाखों के लिए वैध लाइसेंस है. NEERI की वेबसाइट के अनुसार, देश में 1,403 पंजीकृत ग्रीन पटाखा निर्माता हैं, जिनमें से 52 उत्तर प्रदेश, 22 पंजाब और हरियाणा और दिल्ली में एक है.
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इससे पहले, कोर्ट ने आदेश दिया था, ‘हम उन निर्माताओं को पटाखों का निर्माण करने की अनुमति देते हैं जिनके पास एनईईआरआई और पेसो का हरित पटाखा प्रमाण पत्र है. हालांकि, इसके लिए निर्माताओं को इस कोर्ट के समक्ष यह वचन देना होगा कि वे इस कोर्ट की ओर से पारित अगले आदेश तक प्रतिबंधित क्षेत्रों में अपने पटाखे नहीं बेचेंगे.’