
फरीदाबाद नगर निगम टेंडर प्रक्रिया को प्राइवेट एजेंसी को सौंपने जा रहा है। पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरुआती तीन महीनों के लिए यह प्रक्रिया शुरू की जाएगी। पारदर्शिता लाने और भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के उद्देश्य से यह कदम उठाया गया है। यदि योजना सफल रही तो इसे नियमित किया जाएगा। पहले भी टेंडर लीक होने के मामले सामने आ चुके हैं।
फरीदाबाद। नगर निगम के अधिकारी अब अपने चेहते ठेकेदारों का टेंडर प्रक्रिया में फेवर नहीं कर पाएंगे। ऐसा इसलिए क्योंकि निगम की ओर से टेंडर लगाने का काम प्राइवेट एजेंसी को दिया जा रहा है।
पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू में तीन माह के लिए यह प्रक्रिया शुरू की जाएगी। प्रदेश में तीन जिलों में पहले से ही यह योजना चल रही है। जिसमें पंचकूला, गुरुग्राम और अंबाला शामिल है। अगर तीन माह योजना पूरी तरह से सफल रही तो निगम आगे इसको नियमित रखेगा।
निगम में आए दिन टेंडर प्रक्रिया को लेकर अधिकारियों पर पक्षपात करने के आरोप लगते हैं। ओल्ड फरीदाबाद के पूर्व कार्यकारी अभियंता को तो टेंडर की जानकारी लीक पर सस्पेंड तक कर दिया गया था।
इस पहले भी कई ऐसे मामले सामने आए जिसमें एक ही ठेकेदार को लगातार निगम की ओर से टेंडर जारी किए गए। 200 करोड़ के घोटाले में भी आराेपी सतवीर ठेकेदार को भी बल्लभगढ़ विधानसभा क्षेत्र में वर्कआर्डर जारी कर दिए गए थे। बाहरी एजेंसी को टेंडर का काम देने से पारदर्शिता भी आएगी।
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अभी टेंडर लगाने के लिए निगम में केवल चार ऑपरेटर
अभी टेंडर लगाने के लिए जिले में केवल चार ही आपरेटर है। यह चार ऑपरेटर की अलग-अलग विधानसभा क्षेत्र में टेंडर के विकास कार्याें का टेंडर लगाने का काम करते हैं। ऐसे में वर्कलोड अधिक होने से काम की गति भी धीमी होती है।
अब प्राइवेट एजेंसी को काम देने से विकास कार्याें की गति में भी तेजी आएगी। निगम के अनुसार एजेंसी से अनुबंध करते हुए यह भी शर्त रखी जाएगी कि वह टेंडर या अन्य कोई जानकारी किसी भी ठेकेदार के साथ पहली ही सांझा नहीं करेगी।
टेंडर लगाने का काम निगम के कर्मचारियों के पास ही रहना चाहिए। प्राइवेट एजेंसी पर अधिक भरोसा नहीं किया जा सकता है। इससे पहले निगम कूड़ा और प्रापर्टी आइडी सर्वे को लेकर प्राइवेट एजेंसी पर भरोसा जता चुका है। लेकिन उसके परिणाम खराब निकले हैं।