
ईडी ने पश्चिम बंगाल के स्कूलों में भर्ती अनियमितताओं की जांच में तृणमूल कांग्रेस के विधायक जीबनकृष्ण साहा को गिरफ्तार किया। छापेमारी के दौरान महत्वपूर्ण दस्तावेज जब्त किए गए। साहा ने पहले भी सबूत मिटाने के लिए मोबाइल फोन फेंके थे। ईडी ने मुर्शिदाबाद और बीरभूम जिले में कई ठिकानों पर छापेमारी की जिसमें साहा के ससुराल और रिश्तेदारों के आवास शामिल हैं।
कोलकाता । अब ईडी ने बंगाल के स्कूलों में शिक्षकों और कर्मचारियों की भर्ती में अनियमितताओं की जांच के सिलसिले में सोमवार को राज्य के मुर्शिदाबाद जिले के बुरवान विधानसभा क्षेत्र से सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के विधायक जीबनकृष्ण साहा को गिरफ्तार किया।
इससे पहले ईडी की टीम ने टीएमसी विधायक और उनके कुछ रिश्तेदारों के ठिकानों पर छापे मारे। सूत्रों के मुताबिक छापेमारी के दौरान अधिकारियों ने कई महत्वपूर्ण दस्तावेज जब्त किए हैं। आधिकारिक सूत्रों ने यह जानकारी दी।
पहले भी मोबाइल फोन फेंक चुके हैं
जानकारी के मुताबिक ईडी अधिकारियों द्वारा छापेमारी के बाद साहा ने घर से भागने की कोशिश की और अपना फ़ोन एक झाड़ी में फेंक दिया।
हालांकि ईडी अधिकारियों ने उन्हें भागने से रोक लिया और उनका मोबाइल फ़ोन भी बरामद कर उसे जब्त कर लिया। इसके बाद टीएमसी विधायक को कोलकाता लाया गया। 2023 में भी सीबीआई के अधिकारियों द्वारा उनके घर पर छापेमारी के बाद तृणमूल विधायक ने सुबूत मिटाने के लिए अपने दो मोबाइल फोन एक तालाब में फेंक दिए थे।
ईडी की टीम ने इस दिन कोलकाता समेत मुर्शिदाबाद, बीरभूम जिले के कई स्थानों पर छापेमारी की। साहा के खिलाफ धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत जिले के आंदी स्थित उनके आवास पर छापेमारी की गई। ईडी की टीम के साथ केंद्रीय बल के जवान भी थे।
ससुराल में भी तलाशी अभियान
सूत्रों के मुताबिक जांच अधिकारियों ने जिले के रघुनाथगंज के पियारापुर स्थित टीएमसी विधायक के ससुराल में भी तलाशी अभियान चलाया।
इसके अलावा बीरभूम के साईंथिया में जीबनकृष्ण साहा की मौसी तथा टीएमसी की पार्षद माया साहा के आवास पर भी छापेमारी की गई। वहीं मुर्शिदाबाद के महिषग्राम में बैंक कर्मचारी राजेश घोष के आवास पर भी छापेमारी की गई।
साहा को सीबीआइ ने इस घोटाले में संलिप्तता के आरोप में 2023 में गिरफ्तार किया था और बाद में रिहा कर दिया गया था।
Sources of News:- jagran.com
ईडी का धन शोधन का मामला सीबीआइ द्वारा दर्ज की गई एक प्राथमिकी से उत्पन्न हुआ है, जिसे कलकत्ता हाई कोर्ट समूह सी और डी कर्मचारियों, कक्षा 9 से 12 तक के सहायक शिक्षकों और प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती में कथित अनियमितताओं की जांच करने का निर्देश दिया था।