
पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर दिया है। एक नवविवाहित व्यक्ति पर आतंकियों ने उस वक्त हमला किया जब वो हनीमून पर थे। इस हमले में नेवी अफसर विनय नरवाल की जान चली गई। उनका धर्म पूछकर गोली मारी गई। चुड़ा पहने उनके शव के पास बैठी उनकी पत्नी की तस्वीर स्तब्ध कर रही है।
नई दिल्ली: पहलगाम में हुए आतंकी नरसंहार की एक तस्वीर सोशल मीडिया पर बहुत ही ज्यादा वायरल हुई है। इसमें एक नई-नवेली दुल्हन अपने पति के शव के पास निढाल सी बैठी है। मृतक में और महिला में फर्क मात्र यही है कि उसकी सांसें चल रही हैं, लेकिन शरीर निष्प्राण हो चुका है। चार दिन पहले ही तो इसने गले में मंगलसूत्र डाली थी। चार दिन बाद ही पाकिस्तान समर्थित आतंकी ने पूरी दुनिया ही उजाड़ दी। हाथों के लाल-लाल चूड़े भी जैसे बेजान पड़ गए हैं। इंडियन नेवी के एक युवा अधिकारी की पत्नी आज बिना कुछ कहे इंसानियत के दुश्मनों से चीत्कार मारकर बस यही सवाल पूछ रही है कि उसने किसी का क्या बिगाड़ा था? उसे तो परिवार वालों ने हंसते-खेलते हनीमून पर भेजा था। अब उन्हें किस मुंह से 26 साल के लेफ्टिनेंट विनय नरवाल का शव दिखाएगी?
मुस्लिम नहीं है कहकर गोली मार दी
भारतीय नौसेना के युवा अधिकारी उन 28 लोगों में शामिल हैं, जो जम्मू और कश्मीर के पहलगाम की धरती पर आतंकवादियों की गोली के शिकार हुए हैं। एक नव व्याहता को पहले तो यकीन ही नहीं हुआ होगा कि दहशतगर्दों ने उसका सबकुछ छीन लिया है। सोशल मीडिया पर विनय नरवाल की पत्नी का एक बयान भी वायरल है, जिसमें वह कह रही हैं, ‘हम तो बस भेलपुरी खा रहे थे….और फिर उसने मेरे पति को गोली मार दी।’ उन्होंने बताया, ‘गनमैन ने कहा कि मेरे पति मुस्लिम नहीं है और फिर गोली मार दी।’ पता नहीं कि इस सदमे से वह कभी उबर भी पाएगी? इंडिया टुडे के मुताबिक हरियाणा के करनाल के रहने वाले नरवाल दंपति के पड़ोसी नरेश बंसल ने बताया, ‘उसकी 4 दिन पहले ही शादी हुई थी। सभी बहुत ही खुश थे।’ उन्होंने कहा, ‘हमें सूचना मिली है कि आतंकियों ने उनकी हत्या कर दी है और उनकी मौके पर ही मौत हो गई। वह नेवी में अफसर थे।
Source of news-Navbharat Times
हजारों कश्मीरियों के ‘पेट’ पर मारी गोली
लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ (TRF) ने ‘मिनी स्विट्जरलैंड’ कहलाने वाले पहलगाम में सिर्फ 28 सैलानियों का ही धर्म पूछकर कत्लेआम नहीं किया है, बल्कि उन्होंने उन हजारों कश्मीरियों के पेट को भी गोलियों से भूनने की कोशिश की है, जिनकी रोजी-रोटी टूरिस्ट की वजह से ही चलती है। यह हम नहीं कह रहे, जम्मू और कश्मीर सरकार के टूरिज्म विभाग के आंकड़े चीख-चीख कर कह रहे हैं। मसलन, 2023 में अगर 2.11 करोड़ पर्यटक कश्मीर आए तो 2024 में यह संख्या 2.35 करोड़ पहुंच गई। 2025 में तो अभी शुरुआत ही हो रही थी। 2015 में कश्मीर घूमने आने वाले इन्हीं सैलानियों की संख्या मात्र 1.33 करोड़ थी।
हर गोली से एक को निशाना बनाने की कोशिश
चश्मदीदों का कहना है कि दहशतगर्दों ने करीब 50 राउंड फायरिंग की। पहलगाम नरसंहार में आतंकियों की गोलियों से 28 लोगों की जानें गई हैं और 16 लोग जख्मी हुए हैं। तस्वीर पूरी तरह साफ है कि पाकिस्तान का मकसद भारत में सिर्फ दहशत फैलाना नहीं, बल्कि चुन-चुनकर हिंदुओं को निशाना बनाना है, जिसमें हताहतों की संख्या ज्यादा हो और पूरे भारत में गुस्से का माहौल तैयार हो। इसलिए लगभग हर गोली से एक सैलानी को टारगेट करने की कोशिश हुई है। मकसद साफ है कि सामान्य नागरिकों के दिलो दिमाग में यह डर बैठा दिया जाए कि जम्मू-कश्मीर अभी भी सुरक्षित नहीं है और वे उसकी तरफ देखना भी बंद कर दें।
पहलगाम आतंकी हमला: 5 बड़े सवाल
आतंकियों के माध्यम से शांति की ओर लौट चुके जम्मू-कश्मीर को फिर जलाने के पाकिस्तानी मंसूबों को देखते हुए इस नरसंहार के बाद 5 तरह के सवाल उठ रहे हैं।
पहला, क्या पाकिस्तान ने आतंकियों के जरिए घरेलू संकट और राजनीतिक अस्थरिता से ध्यान भटकाने के लिए यह सब कराया है?
दूसरा, क्या पाकिस्तान चाहता है कि कश्मीर आने वाले देशी-विदेशी पर्यटकों की संख्या फिर से कम हो जाए, ताकि आम कश्मीरियों की तंगहाली के दिन फिर शुरू हो जाएं और उनके हाथों में पत्थर थमाकर वह पहले की तरह अपना उल्लू-सीधा कर सके।
तीसरा, क्या कश्मीर में लोकतांत्रिक व्यवस्था बहाल होने की वजह से फिर से आतंकवादियों को खड़े होने का मौका मिल रहा है? क्योंकि, आर्टिकल 370 खत्म होने के बाद यह सबसे बड़ी आतंकी वारदात है।
चौथा, हाल के दिनों में कश्मीरी अलगाववादी संगठनों का प्रभाव पूरी तरह से खत्म होने लगा है। क्या इसकी वजह से दहशतगर्दों को फिर से लोकल सपोर्ट दिया गया है? क्योंकि, इतनी बड़ी वारदात बिना लोकल सपोर्ट के मुमकिन नहीं लगता।
पांचवां, क्या भारत इस बार पाकिस्तान को सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक से भी तगड़ा जवाब देगा, जो कि निर्णायक साबित हो और फिर हमारा पड़ोसी मुल्क और उसकी आर्मी कभी ऐसा करने की सोच भी न सके।