खालिस्तानी आतंकी संगठन सिख्स फॉर जस्टिस ने दिलजीत दोसांझ को ऑस्ट्रेलिया में होने वाले कॉन्सर्ट को रद करने की धमकी दी है। यह धमकी दोसांझ द्वारा अमिताभ बच्चन के पैर छूने के बाद आई है। सिख्स फॉर जस्टिस ने अमिताभ बच्चन पर 1984 के दंगों के दौरान हिंसा भड़काने का आरोप लगाया है।
नई दिल्ली। खालिस्तानी आतंकी संगठन सिख्स फॉर जस्टिस ने पंजाबी सिंगर दिलजीत दोसांझ को ऑस्ट्रेलिया में होने वाले कॉन्सर्ट को बंद करवाने की धमकी दी है। यह धमकी दिलजीत दोसांझ द्वारा अमिताभ बच्चन के पैर छूने के बाद की गई है। सिख्स फॉर जस्टिस (SFJ) का कहना है कि अमिताभ का पैर छूकर दिलजीत ने “1984 सिख नरसंहार के हर पीड़ित, हर विधवा और हर अनाथ का अपमान किया है”.
दरअसल, कौन बनेगा करोड़पति में अमिताभ बच्चन के पैर छूने के बाद दिलजीत दोसांझ को कड़ी आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है। 01 नवंबर को पंजाबी सिंगर दिलजीत दोसांझ का ऑस्ट्रेलिया में कॉन्सर्ट होने वाला है। इससे पहले खालिस्तानी आतंकी संगठन सिख्स फॉर जस्टिस ने इसे बंद करवाने की धमकी दी है।
क्यों भड़के खालिस्तानी
आतंकी संगठन के मुताबिक, अमिताभ बच्चन वो बॉलीवुड एक्टर हैं, जिन्होंने 31 अक्टूबर 1984 को ‘खून का बदला खून के नारे के साथ हिंदुस्तानी भीड़ को उकसाया था, जिसके बाद हिंसक दस्तों ने नरसंहार किया। इस नरसंहार में 30,000 से ज्यादा सिख लोग मारे गए थे। ऐसे में दिलजीत दोसांझ द्वारा अमिताभ बच्चन के पैर छुने के बाद यह गैंग भड़क उठा है।
एक अंग्रेजी वेबसाइट की रिपोर्ट के अनुसार, सिख फॉर जस्टिस (SFJ) ने पंजाबी गायक-अभिनेता दिलजीत दोसांझ द्वारा बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन के पैर छूने पर उनके कॉन्सर्ट को बंद करने की धमकी दी है।
1 नवंबर को क्यों नहीं मना सकता उत्सव?
सिख फॉर जस्टिस (SFJ) समूह द्वारा साझा किए गए एक बयान में आरोप लगाया गया है कि बच्चन ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद 1984 के दंगों के दौरान हिंसा भड़काने में भूमिका निभाई थी। उन्होंने आगे कहा, “यह अज्ञानता नहीं, विश्वासघात है। जिन सिखों को जिंदा जला दिया गया, जिन महिलाओं के साथ बलात्कार हुआ, जिन बच्चों का कत्ल किया गया, उनकी राख अभी ठंडी नहीं हुई है। कोई भी विवेकशील सिख 1 नवंबर, स्मृति दिवस पर कोई भी प्रदर्शन या उत्सव नहीं मना सकता।”
Source of News:- jagran.com
संगठन ने दावा किया कि बच्चन ने दंगों के दौरान कथित तौर पर “खून का बदला खून” का नारा लगाया था। संदर्भ के लिए, 1984 के सिख विरोधी दंगे 31 अक्टूबर, 1984 को इंदिरा गांधी की उनके सिख अंगरक्षकों द्वारा हत्या के एक दिन बाद भड़के थे।





