
फरीदाबाद के बीके अस्पताल में पीपीपी (पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप) मोड पर चल रहा हार्ट सेंटर पिछले 2 महीने से बंद पड़ा है। जिस कारण अस्पताल में पहुंचने वाले हार्ट के मरीजों को खाली हाथ वापस लौटना पड़ रहा है। इसको लेकर हरियाणा के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग ने अब तक कोई कार्रवाई नहीं की है।
हार्ट सेंटर पर पिछले दो महीने से ओपीडी सेवाएं पूरी तरह से बंद पड़ी हुई हैं। अस्पताल में फरीदाबाद के अलावा कई अन्य स्थानों से मरीज इलाज के लिए पहुंचते हैं। ताकि उन्हें बेहतर इलाज मिल सके, लेकिन हकीकत कुछ और ही नजर आ रही है। अस्पताल में दूर- दूर से पहुंचने वाले लोग बिना इलाज के वापस लौट रहे हैं, जिससे उन्हें बाहर इलाज कराना पड़ता है। इससे सबसे ज्यादा प्रभाव उनकी जेब पर पड़ता है।
हर महीने करीब 40 एंजियोप्लास्टी
हार्ट सेंटर में हर महीने करीब 40 एंजियोप्लास्टी की जा रही थी। हरियाणा का चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग दिल के मरीजों को मुफ्त चिकित्सा सुविधाएं देने में नाकाम साबित हो रहा है। हार्ट सेंटर पर सरकारी अधिकारियों ने शिकायतों पर इतनी कार्रवाई कर दी कि कंपनी को हार्ट सेंटर को बंद करने का निर्णय लेना पड़ा और अब यहां कोई भी कार्डियोलॉजिस्ट व स्टाफ काम करने को तैयार नहीं है। मरीज निजी अस्पतालों में महंगा इलाज करवा रहे हैं।
Source of news-Dainik Bhaskar
विवादों में रहा हार्ट सेंटर
हार्ट सेंटर बीके अस्पताल की तीसरी मंजिल पर चल रहे हार्ट सेंटर पर वर्ष 2022 में आयुष्मान कार्ड में फर्जीवाड़ा कर मरीजों से कैश भुगतान उठा लेने और सरकार से भी पैसा उठाने के आरोप लगे थे।
जिसके बाद प्रबंधन की जांच में करीब दो दर्जन केस इस तरह के पाए गए और 12 लाख की धोखाधड़ी के आरोप में हार्ट सेंटर के पूर्व प्रमुख मानसिंह समेत फर्जी आयुष्मान कार्ड बनाने वाले चार कर्मचारियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। इसके बाद से ही हार्ट सेंटर की मुश्किलें बढ़ती चली गईं।
अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. जयंत आहूजा ने बताया कि हार्ट सेंटर का मामला सीधे चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के निदेशक स्वयं देख रहे हैं। ऊपर लेवल पर क्या निर्णय हुआ है, इसकी मुझे जानकारी नहीं है। लेकिन दिल के मरीजों को सेवाएं मिलनी चाहिए। कंपनी को फिर से सेंटर शुरू करना चाहिए।