
दरअसल, कार्यवाही शुरू होते ही संसद के दोनों सदनों में हंगामा शुरू हो गया। विपक्ष की ओर से ऑपरेशन सिंदूर पर तत्काल चर्चा की मांग के बाद लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही कई बार स्थगित करनी पड़ी।
संसद के मानसून सत्र के पहले दिन हंगामे और स्थगन के बीच कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने पक्षपात का आरोप लगाते हुए कहा कि विपक्ष का नेता होने के बावजूद उन्हें लोकसभा में बोलने नहीं दिया गया। सदन की कार्यवाही स्थगित होने के बाद राहुल ने संसद भवन के बाहर संवाददाताओं से कहा, ‘रक्षा मंत्री और सरकार के अन्य लोगों को बोलने की इजाजत है, लेकिन विपक्षी नेताओं को बोलने नहीं दिया जा रहा। मैं विपक्ष का नेता हूं, बोलना मेरा अधिकार है, मुद्दे उठाना मेरा काम है, लेकिन वे मुझे बोलने नहीं दे रहे।’
source of amarujala
‘सरकार एक नया तरीका अपना रही’
उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार एक नया तरीका अपना रही है। उन्होंने कहा, ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सदन से चले गए। अगर वे अनुमति दें तो चर्चा हो सकती है, लेकिन मुद्दा यह है कि परंपरा कहती है कि अगर सरकार के नेताओं को बोलने की अनुमति है, तो हमें भी जगह दी जानी चाहिए। हम बोलना चाहते थे, लेकिन हमें अनुमति नहीं दी गई।’
ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा की मांग पर हंगामा
इससे पहले लोकसभा में कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्षी सदस्य ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा की मांग करते हुए खड़े हो गए। ऑपरेशन सिंदूर के तहत पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारतीय सशस्त्र बलों ने पाकिस्तान को करारा जवाब दिया था। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि वह प्रश्नकाल के बाद सदस्यों को ऑपरेशन सिंदूर सहित सभी मुद्दे उठाने की अनुमति देने के लिए तैयार हैं। प्रश्नकाल दिन का पहला घंटा होता है, जिसमें सदस्य विभिन्न मंत्रालयों और विभागों से संबंधित प्रश्न उठाते हैं।
‘प्रश्नकाल के बाद सभी मुद्दे उठाने की अनुमति दूंगा’
उन्होंने कहा, ‘मैं आपको प्रश्नकाल के बाद सभी मुद्दे उठाने की अनुमति दूंगा। सदन केवल नियमों के अनुसार ही चलेगा। इसमें नारेबाजी और तख्तियां लहराने की अनुमति नहीं दी जा सकती।’ बिरला ने कहा कि यदि सदस्य नोटिस देते हैं, तो वह उन्हें सभी मुद्दे उठाने की अनुमति देंगे और प्रत्येक सांसद को पर्याप्त समय देंगे।