Malegaon Blast: कैसे एक बाइक के चेचिस नंबर ने मालेगांव ब्लास्ट केस के फैसले का आधार ही बदल दिया?

Malegaon Blast Case: मालेगांव विस्फोट मामले में विशेष एनआईए अदालत ने सभी सातों आरोपियों को बरी कर दिया है. इसमें साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर, लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित, मेजर रमेश उपाध्याय, समीर कुलकर्णी, अजय राहिरकर, सुधाकर चतुर्वेदी और सुधाकर द्विवेदी शामिल थे. इसमें साध्वी प्रज्ञा ठाकुर और कर्नल पुरोहित पर सबसे गंभीर आरोप थे. जांच एजेंसियों ने कहा था कि विस्फोट में इस्तेमाल हुई बाइक साध्वी प्रज्ञा की थी. वहीं कर्नल प्रसाद पुरोहित पर RDX खरीदने का आरोप था. लेकिन, इन आरोपों को लेकर कोई अदालत में कोई सबूत नहीं जुटाया जा सका.


कोर्ट ने अपने फैसले में सात बातें कही. उससे सबसे पहले कहा कि इस विस्फोट में RDX और बम का सबूत साबित नहीं हो पाया है. दूसरा- बाइक साध्वी प्रज्ञा की थी ये भी साबित नहीं हुआ. ब्लास्ट से पहले बैठक हुई ये भी साबित नहीं हो पाया. RDX कर्नल पुरोहित लाए थे ये साबित नहीं हुआ. बाइक पर चेचिस नंबर कभी रिकवर नहीं हुआ. स्पॉट पंचनामा से कुछ भी सामने नहीं आया. आरोपियों पर यूएपीए लागू नहीं होता- ऐसा ये मामला बनता ही नहीं. अदालत ने यह भी कहा कि बाइक की चेचिस नंबर के बिना ये किसी रूप में साबित नहीं होता कि यह बाइक साध्वी प्रज्ञा ठाकुर की थी.

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इस विस्फोट की घटना की शुरुआती जांच महाराष्ट्र पुलिस ने की. फिर इसे महाराष्ट्र एटीएस को सौंप दिया. एटीएस ने इस मामले में 11 लोगों को गिरफ्तार किया था. फिर मामले की जांच एनआईए को सौंप दी गई. एनआईए ने अंत में सात लोगों को आरोपी बनाया. उसने कई आरोपियों को निकाल दिया और कई गवाह अपने बयान से मुकर गए.

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