पलवल-मथुरा सेक्शन में एक ही ट्रैक पर दौड़ी दो ट्रेनें, कवच प्रणाली से टक्कर होने से बची, ट्रॉयल हुआ सफल

पलवल-मथुरा सेक्शन में कवच प्रणाली के ट्रायल के दौरान दो ट्रेनें एक ही ट्रैक पर आ गई। इस स्वदेशी तकनीक ने स्वचालित रूप से ब्रेक लगाकर संभावित टक्कर को टाल दिया।

पलवल: भारतीय रेलवे की आधुनिक सुरक्षा तकनीक कवच प्रणाली ने एक बार फिर अपनी उपयोगिता साबित की है। पलवल-मथुरा सेक्शन में हुए एक ट्रायल के दौरान दो ट्रेनें एक ही ट्रैक पर आ गईं, लेकिन कवच तकनीक की वजह से टक्कर होते-होते बची। रेलवे अधिकारियों ने इसे तकनीक की बड़ी सफलता बताया है और कहा है कि यह प्रणाली भविष्य में कई बड़े हादसों को रोक सकती है। जानकारी के अनुसार, ट्रायल के दौरान दोनों ट्रेनें आमने-सामने की दिशा में एक ही ट्रैक पर दौड़ रही थीं। जैसे ही वे कवच प्रणाली के कवरेज एरिया में पहुंचीं, ऑटोमैटिक ब्रेक लग गए और ट्रेनें एक सुरक्षित दूरी पर रुक गईं।

रेलवे अधिकारियों ने बताई इसकी खासियत
रेलवे अधिकारियों के मुताबिक, कवच प्रणाली में लोको पायलट को समय रहते चेतावनी देने और जरूरत पड़ने पर ट्रेन को खुद रोकने की क्षमता है। अब इस प्रणाली का सफल ट्रायल नई दिल्ली-फरीदाबाद सेक्शन में करने की तैयारी चल रही है। अधिकारियों का कहना है कि यह ट्रायल भी पलवल-मथुरा सेक्शन की तरह ही महत्वपूर्ण होगा, क्योंकि इस रूट पर भी रोजाना भारी संख्या में ट्रेनें गुजरती हैं और सुरक्षा को और मजबूत करने की जरूरत है।

source of news:- navbharattimes.com

कवच प्रणाली स्वदेशी तकनीक
कवच प्रणाली भारतीय रेलवे की स्वदेशी तकनीक है, जिसे ट्रेन टक्कर से बचाने के लिए विकसित किया गया है। यह प्रणाली लोको पायलट को वास्तविक समय में ट्रेन की गति, सिग्नल की स्थिति और संभावित खतरों की जानकारी देती है। जरूरत पड़ने पर यह स्वत: ब्रेक लगाकर ट्रेन को रोक देती है। रेलवे अधिकारियों का दावा है कि कवच प्रणाली के उपयोग से न केवल यात्रियों की सुरक्षा में सुधार होगा, बल्कि रेलवे के संचालन में भी दक्षता बढ़ेगी। इससे मानवीय त्रुटियों के कारण होने वाले हादसों में बड़ी कमी आएगी। रेल मंत्रालय का लक्ष्य आने वाले वर्षों में देश के सभी व्यस्त रेल मार्गों पर कवच प्रणाली को लागू करना है, ताकि भारतीय रेलवे को विश्वस्तरीय सुरक्षा मानकों के करीब लाया जा सके।

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