‘सरकार इससे ज्यादा क्या कर सकती है?’, यमन में निमिषा की फांसी पर केंद्र का सुप्रीम कोर्ट में बयान; कहा- अब एक ही रास्ता है

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। केरल की नर्स निमिषा प्रिया को यमन की अदालत ने फांसी की सजा सुनाई है। आज से ठीक 2 दिन बाद निमिषा की फांसी की तारीख निर्धारित की गई है। केंद्र सरकार ने निमिषा की फांसी रोकने का हर मुमकिन प्रयास किया, लेकिन सरकार को इसमें नाकामयाबी ही हाथ लगी।

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निमिषा की फांसी पर अब केंद्र सरकार ने भी हाथ खड़े कर दिए हैं। केंद्र सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है, लेकिन हम जो कर सकते थे हमने किया।

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कैसे बच सकती है निमिषा की जान?
केंद्र सरकार के अनुसार, हर कोशिश की एक सीमा होती है। अब इससे ज्यादा हम क्या कर सकते हैं। निमिषा को बचाने का सिर्फ एक ही रास्ता है कि अगर मृतक शख्स का परिवार मुआवजा स्वीकार कर ले तो निमिषा की फांसी रुक सकती है।

8.5 करोड़ के मुआवजे का दिया गया था ऑफर
केंद्र सरकार की तरफ से अटॉर्नी जनरल आर.वेंकटरमणी ने सुप्रीम कोर्ट में सरकार का पक्ष रखा। जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ में सुनवाई के दौरान उन्होंने बताया कि मृतक के परिवार को 1 मिलियन डॉलर (लगभग 8.5 करोड़) रुपये के मुआवजे का ऑफर दिया गया था, लेकिन उन्होंने इसे स्वीकार नहीं किया।

हमने हर संभव प्रयास किया: केंद्र सरकार
बता दें कि 16 जुलाई को निमिषा को यमन में फांसी दी जानी है। अटॉर्नी जनरल के अनुसार, यह मामला बेहद पेचीदा है। सरकार इसमें ज्यादा कुछ नहीं कर सकती है। हमने हर संभव प्रयास किया। यह दुर्भाग्यपूर्ण है, लेकिन सरकार की भी अपनी एक सीमा होती है, इससे ज्यादा कुछ भी करना सरकार के लिए मुमकिन नहीं है।

2008 में केरल से यमन गईं थीं निमिषा
2008 में केरल के पलक्कड़ में रहने वाली नर्स निमिषा प्रिया यमन के अस्पताल में काम करती थीं। 2011 में उन्होंने भारत में एक ऑटो ड्राइवर टॉमी थॉमसन से शादी की और पति के साथ यमन चली गईं। 2012 में निमिषा ने बेटी को जन्म दिया। इसी दौरान यमन में गृह युद्ध के हालात बनने लगे। ऐसे में थॉमन बेटी को लेकर भारत लौट आए और निमिषा ने यमन के अस्पताल में अपना काम जारी रखा।

निमिषा को क्यों मिली फांसी की सजा?
निमिषा ने खुद का क्लीनिक खोलने की चाह से महदी को अपना बिजनेस पार्टनर बनाया, लेकिन महदी ने निमिषा को ही धोखा दे दिया। महदी ड्रग्स के नशे में निमिषा का शारीरिक और मानसिक शोषण करने लगा। साथ ही उसने निमिषा का पासपोर्ट भी हड़प लिया। 2017 में निमिषा ने महदी को बेहोशी की दवा दी और अपना पासपोर्ट लेकर यमन से भाग निकली। हालांकि दवा का डोज ज्यादा होने के कारण महदी की मौत हो गई। वहीं, घटना के 1 महीने बाद पुलिस ने निमिषा को यमन-सऊदी बॉर्डर से गिरफ्तार कर लिया।

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