
Delhi Vidhan Sabha Chunav 2025 की तैयारियों में जुटी कांग्रेस ने इस बार मुस्लिम वोटरों को अपने पाले में करने के लिए रणनीति बनाई। पार्टी के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने मुस्लिम बहुल इलाकों में कई जनसभाएं की हैं। कांग्रेस को उम्मीद है कि मुस्लिम वोटरों का समर्थन मिलने से पार्टी को दिल्ली में सत्ता में वापसी करने में मदद मिलेगी।
स्वदेश कुमार, नई दिल्ली। दिल्ली की सत्ता में कांग्रेस की जड़ें काफी गहरी रही हैं। राज्य के रूप में अस्तित्व में आने के बाद शुरुआती पांच साल को छेड़ दें तो दिल्ली में अब तक का सबसे लंबा शासन काल कांग्रेस का ही रहा है। 1998 से लगातार 2013 तक यानी 15 साल कांग्रेस की शीला दीक्षित मुख्यमंत्री रहीं। इसके बाद 2013 में अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में आम आदमी पार्टी अस्तित्व में आ गई।

पहले ही चुनाव में AAP ने दिया था झटका
पहले ही चुनाव में 70 में से 28 सीटें जीतकर आप ने सबसे बड़ा झटका कांग्रेस को दिया, लेकिन आठ सीटों पर सिमटी कांग्रेस की मदद से ही सरकार भी बनाई। सरकार 49 दिन चली। फिर राष्ट्रपति शासन लग गया। 2015 के चुनाव में आप की आंधी ऐसी चली कि कांग्रेस जड़ से उखड़ गईं। भाजपा भी मात्र तीन सीटों पर सिमट गई।
2020 के चुनाव में भी नहीं खुला था खाता
2020 के चुनाव में भी आप ने ऐतिहासिक प्रदर्शन को दोहराया और कांग्रेस दूसरी बार शून्य पर ही रह गई। इस बार के चुनाव में कांग्रेस नेतृत्व थोड़ा गंभीर नजर आया। पार्टी की रणनीति बता रही है कि वह अपनी जड़ों की ओर लौटने की कोशिश में है। वरिष्ठ नेता और सांसद राहुल गांधी के अलावा प्रियंका गांधी और राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे तक ने चुनावी जनसभाएं कीं तो मुस्लिम बहुल क्षेत्रों को प्रमुखता दी।
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