
Nirmala Sitharaman on Today’s Challenges: सीतारमण ने कहा कि इस तरह के सम्मेलनों ने भारत की नीतिगत सोच और रणनीति को दिशा दी है, और इसका असर वैश्विक मंचों पर भी दिखा है.
Nirmala Sitharaman on Global Challenges: केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कौटिल्य आर्थिक सम्मेलन के दौरान कहा कि आज हमारे सामने केवल वैश्विक अनिश्चितताओं को संभालने की चुनौती नहीं है, बल्कि व्यापार (Trade), वित्त (Finance) और ऊर्जा (Energy) से जुड़ी असंतुलन की गहराई से जड़ जमाई समस्याओं का सामना करना भी आवश्यक है. हालांकि, उन्होंने कहा कि भारत आठ प्रतिशत जीडीपी ग्रोथ हासिल करने के लक्ष्य पर अपना फोकस कर रखा है. वित्त मंत्री ने जोर देते हुए कहा कि वैश्विक व्यवस्था की नींव बदल रही है और यह केवल अस्थायी व्यवधान नहीं, बल्कि एक संरचनात्मक परिवर्तन है. बढ़ते भू-राजनीतिक तनावों के बीच भी भारत की क्षमता बाहरी झटकों को सहने और उनसे उबरने की मजबूत स्थिति में है.
वैश्विक नेतृत्व का उदाहरण जी-20
निर्मला सीतारमण ने कहा कि इस तरह के सम्मेलनों ने भारत की नीतिगत सोच और रणनीति को दिशा दी है, और इसका असर वैश्विक मंचों पर भी दिखा है. उन्होंने 2023 के जी-20 शिखर सम्मेलन को भारत की वैश्विक नेतृत्व क्षमता का उत्कृष्ट उदाहरण बताया.
केन्द्रीय वित्त मंत्री ने आगे कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने भारत की समृद्धि को हासिल करने के लिए दो-ट्रैक दृष्टिकोण रखा है. पहला, वर्ष 2047 तक भारत को विकसित भारत बनाने का लक्ष्य; और दूसरा, आत्मनिर्भरता (Atmanirbhar Bharat) के जरिए उस लक्ष्य तक पहुंचने का मार्ग.
वित्त मंत्री ने कहा कि आज की दुनिया गहरे असंतुलनों से जूझ रही है- व्यापार असंतुलन ने कुछ देशों में उद्योगों को खोखला कर दिया है, वित्तीय असंतुलन ने असली अर्थव्यवस्था को निवेश से वंचित कर दिया है और ऊर्जा असंतुलन ने कुछ समाजों को महंगे आयात पर निर्भर बना दिया है. ये असंतुलन अब वैश्विक व्यवस्था की स्थायी वास्तविकता बन चुके हैं. ऐसे में चुनौती केवल अनिश्चितताओं को संभालने की नहीं, बल्कि इन असंतुलनों का डटकर सामना करने की है.
बढ़ाया गया पूंजीगत खर्च
उन्होंने कहा कि भारत में निजी क्षेत्र के निवेश के अवसर दिखने लगे हैं और सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) परियोजनाओं में फिर से रुचि बढ़ रही है. उन्होंने जोर देकर कहा कि पिछले पांच वर्षों में सार्वजनिक व्यय में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है और सरकार पूंजीगत व्यय (कैपिटल एक्सपेंडिचर) जारी रखने के लिए प्रतिबद्ध है.
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वित्त मंत्री ने यह भी बताया कि कोविड-19 महामारी के दौरान आर्थिक गति बनाए रखने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार ने बुनियादी ढांचे पर खर्च बढ़ाया. पूंजीगत व्यय के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता सिर्फ बढ़ी ही नहीं है, बल्कि अब स्थिर भी हो गई है. सीतारमण ने कहा कि सरकार ने 2025-26 (अप्रैल-मार्च) के लिए कुल पूंजीगत व्यय का लक्ष्य 11.21 लाख करोड़ रुपये रखा है. चालू वित्त वर्ष के पहले चार महीनों में पूंजीगत व्यय सालाना आधार पर 33 प्रतिशत बढ़कर 3.47 लाख करोड़ रुपये हो गया है.