नालों की सफाई के नाम पर हो रहा खजाना साफ, भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रही आम लोगों के टैक्स की कमाई

फरीदाबाद में गौछी नाले की सफाई के लिए नगर निगम ने टेंडर जारी किया है लेकिन नाले को जाम करने वाली डेयरियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो रही। डेयरियों से निकलने वाला कचरा नाले में फेंका जाता है जिससे बारिश में नाला ओवरफ्लो हो जाता है और सेक्टरों में गंदा पानी घुस जाता है। निगम की दो शाखाएं एक-दूसरे पर कार्रवाई न करने का आरोप लगा रही हैं।

फरीदाबाद। मानसून से पहले नगर निगम ने एक बार फिर गौछी नाले के लिए टेंडर जारी कर दिया है। ताकि समय पर काम शुरू हो सके। हर साल जनता से वसूले गए टैक्स से पांच से सात लाख रुपये खर्च कर गौछी नाले की सफाई कराई जाती है।


करीब 15 दिन तक नगर निगम के संसाधन सफाई में जुटे रहते हैं। लेकिन इन नालों को जाम करने वाली डेयरियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होती। डेयरियों से निकलने वाला कचरा नाले में फेंक दिया जाता है। जिससे पीछे से आने वाला पानी आगे नहीं बढ़ पाता।

बारिश के दिनों में इस कचरे के कारण नाला ओवरफ्लो हो जाता है। इसका गंदा पानी सेक्टरों व कॉलोनियों में घुस जाता है। जिससे लोगों द्वारा टैक्स के रूप में दिए जाने वाले लाखों रुपये डूब जाते हैं। यानी भ्रष्टाचार के कारण जनता का पैसा बर्बाद हो रहा है।

Source of news-Dainik Jagran

ड्रेन के किनारे चल रही 10 से अधिक पशु डेयरी

एनआईटी और बल्लभगढ़ विधानसभा क्षेत्र से गुजरने वाले गौछी नाले के किनारे 10 से ज्यादा पशु डेयरियां चल रही हैं। इन पशुओं को नाले के किनारे ही बांधा जाता है। डेयरियों से निकलने वाला यह कचरा नाले में ही नहीं बल्कि सीवर लाइन में भी जाता है।


नगर निगम कई बार डेयरी संचालकों को नोटिस जारी कर कचरा सीवर और नाले में न डालने को कह चुका है। लेकिन कभी कोई कार्रवाई नहीं होती।

एक दूसरे पर लगा रहे आरोप

डेयरियों के खिलाफ कार्रवाई को लेकर एमओएच शाखा और इंजीनियरिंग शाखा एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाती हैं। एमओएच शाखा का कहना है कि नालों की सफाई का काम इंजीनियरिंग शाखा का है। इसलिए डेयरियों के खिलाफ कार्रवाई करना उनका कर्तव्य है


वहीं, इंजीनियरिंग शाखा के अधिकारियों का कहना है कि डेयरी और पशु मालिकों के खिलाफ कार्रवाई सिर्फ एमओएच शाखा ही कर सकती है। चालान काटने की पावर उनके पास नहीं है। तत्कालीन कमिश्नर यशपाल यादव ने डेयरियों से निकलने वाले कचरे की समस्या को खत्म करने के लिए अभियान चलाया था।


जिसमें निगम ने डेयरियों से गोबर खरीदकर खाद तैयार करना शुरू किया था। इस खाद का इस्तेमाल पार्कों में किया जाना था। लेकिन उनके तबादले के बाद यह योजना पूरी तरह ठप हो गई।

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