
Jhalawar School Collapsed: झालावाड़ जिले के पिपलोदी गांव में जर्जर स्कूल की छत गिरने से 7 मासूमों की मौत और 22 घायल हो गए. हादसे से पहले कई बार मरम्मत की मांग की गई, लेकिन अधिकारियों ने अनसुनी की. ग्रामीणों का आरोप है कि उन्हें खुद पैसे इकट्ठा कर मरम्मत करने को कहा गया. हादसे के बाद प्रशासनिक देरी और एंबुलेंस की लेटलतीफी से लोगों का गुस्सा भड़क गया. सरकार ने मुआवजे और नौकरी की घोषणा की, लेकिन यह त्रासदी पूरे सिस्टम की विफलता की मिसाल बन गई.
भीलवाड़ा. राजस्थान के झालावाड़ जिले के पिपलोदी गांव में शुक्रवार को एक दिल दहलाने वाला हादसा हुआ. सरकारी उच्च प्राथमिक स्कूल की जर्जर छत सुबह प्रार्थना सभा के दौरान अचानक ढह गई, जिसके मलबे में दबकर सात बच्चों की मौत हो गई और 22 बच्चे घायल हो गए. ग्रामीण बालकिशन ने बताया कि तेज आवाज के साथ छत ढही और बच्चों की चीखें गूंजने लगीं. स्थानीय लोग तुरंत बचाव के लिए दौड़े, मलबा हटाया और घायल बच्चों को निजी वाहनों से स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाया.
ग्रामीणों ने बताया कि स्कूल भवन पिछले चार साल से जर्जर हालत में था. बारिश में छत से पानी टपकता था, और कई बार अधिकारियों व स्कूल प्रशासन से मरम्मत की गुहार लगाई गई, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई. ग्रामीण बाबूलाल ने कहा कि तहसीलदार और सब-डिविजनल मजिस्ट्रेट को सूचित किया गया था, लेकिन जवाब में अधिकारियों ने ग्रामीणों से खुद मरम्मत कराने या प्रति परिवार 200 रुपये इकट्ठा करने को कहा. ग्राम विकास अधिकारी दौलत गुर्जर ने दावा किया कि चार साल पहले मरम्मत हुई थी, लेकिन ग्रामीणों ने इसे गलत बताया.
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स्थानीय लोगों में गुस्सा
हादसे के बाद ग्रामीणों में आक्रोश फैल गया. सरपंच रामप्रसाद लोढ़ा ने बताया कि इमारत ढहने के बाद गांव में अफरा-तफरी मच गई. उन्होंने अपनी जेसीबी मशीन से 20 मिनट तक बचाव कार्य किया और 13 बच्चों को मलबे से निकाला. ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि प्रशासन की मदद देर से पहुंची और एंबुलेंस को घटनास्थल पर आने में 45 मिनट लगे. घायल बच्चों को दोपहिया वाहनों से अस्पताल ले जाना पड़ा. ग्रामीणों ने प्रशासन की लापरवाही को इस त्रासदी का मुख्य कारण ठहराया.