
नेपाल सरकार ने हिंसक प्रदर्शनों के बाद सोशल मीडिया पर प्रतिबंध हटाने का एलान किया है। प्रतिबंध हटाने की घोषणा पीएम केपी शर्मा ओली की सरकार में सूचना और प्रसारण मंत्री पृथ्वी सुब्बा गुरूंग ने की।
नेपाल में भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया पर पाबंदी के खिलाफ युवाओं के विरोध प्रदर्शन के हिंसक हो जाने से 20 लोगों की मौत हो गई एवं 347 घायल हो गए। पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच कई जगह झड़पें हुईं। काठमांडो में प्रदर्शनकारी संसद भवन परिसर में घुस गए और तोड़फोड़ की। विरोध प्रदर्शन पोखरा, बुटवल, भैरहवा, भरतपुर, इटाहारी और दमक तक फैल गया। हालात काबू में करने के लिए काठमांडो समेत कई शहरों में कर्फ्यू लगाने के साथ सेना को तैनात करना पड़ा। बेकाबू हिंसा के बाद नेपाली गृह मंत्री रमेश लेखक को इस्तीफा दे दिया। लेकिन, देर रात नेपाल सरकार झुकी और सोशल मीडिया से प्रतिबंध हटा दिया।
ओली के बदले सुर, कहा-माहौल बनाएंगे
दिनभर हुई व्यापक हिंसा के बाद पीएम केपी शर्मा ओली ने भी अपने सुर बदल लिए। उन्होंने एक बयान जारी कर कहा कि मैं जेन-जी पीढ़ी के विरोध प्रदर्शन के दौरान हुई दुखद घटना से बहुत दुखी हूं। हमें विश्वास था कि हमारे बच्चे शांतिपूर्वक अपनी मांगों को उठाएंगे, लेकिन निहित स्वार्थों के कारण विरोध प्रदर्शन में घुसपैठ हुई। इस कारण उत्पन्न स्थिति के परिणामस्वरूप नागरिकों की जान का दुखद नुकसान हुआ है… सरकार सोशल मीडिया के इस्तेमाल को रोकने के पक्ष में नहीं थी और इसके इस्तेमाल के लिए माहौल सुनिश्चित करेगी।
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15 दिनों में आएगी रिपोर्ट
पीएम ओली ने आगे कहा कि इसके लिए लगातार प्रदर्शन करने की कोई जरूरत नहीं थी। इस स्थिति को जारी नहीं रहने दिया जाएगा… मैं आपको आश्वस्त करना चाहता हूं कि आज की पूरी घटना और नुकसान, उसकी स्थिति और कारणों की जांच और विश्लेषण के लिए एक जांच समिति का गठन किया जाएगा। भविष्य में ऐसी दुर्घटनाओं को रोकने के लिए उठाए जाने वाले कदमों की सिफारिश करने हेतु 15 दिनों के भीतर एक रिपोर्ट प्रस्तुत की जाएगी। इससे पहले नेपाल के संचार मंत्री पृथ्वी सुब्बा गुरुंग ने बताया कि सरकार ने कैबिनेट की आपात बैठक में सोशल मीडिया साइटों पर प्रतिबंध के अपने फैसले को वापस ले लिया है।