Punjab Flood: साहूवाल में बाढ़… चार-चार फीट भरा पानी, जलभराव में रहने को मजबूर लोग; ग्रांउड रिपोर्ट

अमृतसर का सीमांत गांव साहूवाल बाढ़ की मार से बेहाल है। गांव में चार-चार फीट पानी भरा है। लोगों की परेशानी कम होने का नाम नहीं ले रही। गांव में बीमारियों का खतरा बढ़ गया है।

पंजाब के अमृतसर के अजनाला के सीमांत ब्लॉक रमदास का गांव साहूवाल बाढ़ से बेहाल है। पूरा गांव पानी में डूबा है। हालात दयनीय बने हुए हैं। इससे वहां काफी नुकसान हुआ है। लोग कई दिनों से पानी के बीच ही रहने को मजबूर हैं। इससे गांव में बीमारियों का खतरा बढ़ गया है। रावी दरिया में आई बाढ़ का चार-चार फीट तक पानी भरा है। लोगों की परेशानी कम होने का नाम नहीं ले रही।

गांव साहूवाल के हालात इस बात की गवाही देते हैं कि आपदा केवल प्राकृतिक नहीं बल्कि सामाजिक-आर्थिक समस्याओं को भी जन्म देती है। यहां के लोग अभी तक बाढ़ की समस्याओं से दो-दो हाथ कर रहे हैं।

राहत और बचाव कार्य जारी है लेकिन ग्रामीणों की असली लड़ाई अब आजीविका बहाली, स्वास्थ्य और पुनर्निर्माण की है। जब तक सरकार और प्रशासन ठोस कदम नहीं उठाते तब तक साहूवाल के लोगों को इन्हीं मुश्किलों से दो चार होना पड़ेगा।

गांव के लोगों जसपाल सिंह, हरदीप सिंह, मंगा सिंह और हरजिंदर ने बताया कि पानी का स्तर कुछ कम हुआ है लेकिन बीमारियों का खतरा बढ़ गया है। गांव में लोगों को बुखार की शिकायत बढ़ रही है। प्रशासन की टीमों ने मेडिकल किटें बांटी हैं लेकिन जांच की पूरी सुविधा न होने से लोग अब भी असुरक्षित महसूस कर रहे हैं।
पशुओं पर आफत साहूवाल के लोगों को मवेशियों की भी चिंता सता रही है। चारे की भारी कमी से पशु भूखे हैं। लगातार पानी में रहने से उनके पैरों में संक्रमण फैल रहा है। अब तक चार ग्रामीणों को सर्पदंश का सामना करना पड़ा लेकिन मौके पर मेडिकल सहायता उपलब्ध होने से उनकी जान बच गई। ग्रामीणों का कहना है कि अगर इसी तरह पानी रहा तो पशुधन का भारी नुकसान होना तय है।

राहत सामग्री पर उठे सवाल
गांव वालों का आरोप है कि सही मायनों में जो लोग राहत सामग्री के सबसे अधिक हकदार हैं वे वंचित रह गए हैं। कई जरूरतमंद परिवारों तक राशन और अन्य सामग्री नहीं पहुंच पाई। आसपास के गांवों के कुछ लोग और ऐसे परिवार जिन्हें तत्काल राहत की आवश्यकता नहीं थी, वे सामान लेकर चले गए। इससे असंतोष का माहौल बना हुआ है।
चोरी की घटनाओं ने बढ़ाई परेशानी
आपदा की इस घड़ी में गांव में आपराधिक तत्व भी सक्रिय हो गए हैं। अब तक तीन-चार घरों में चोरी की घटनाएं हो चुकी हैं। लोग कहते हैं कि जब वे सुरक्षित ठिकानों पर थे तभी कुछ असामाजिक तत्वों ने उनके घरों में सेंधमारी कर नुकसान पहुंचाया। यह स्थिति ग्रामीणों की चिंता और बढ़ा रही है।

फसल पूरी तरह तबाह
गांव साहूवाल का मुख्य रोजगार खेती-बाड़ी है। इस बाढ़ ने किसानों की सारी मेहनत पर पानी फेर दिया। खड़ी फसलें पूरी तरह बर्बाद हो गई हैं। किसान कहते हैं कि यह नुकसान केवल मौसमी नहीं बल्कि आने वाले महीनों की रोजी-रोटी पर भी भारी पड़ेगा। ग्रामीणों की मांग है कि सरकार उचित मुआवजा दे ताकि वे फिर से खेती शुरू कर सकें।

प्रशासन, सेना और एनजीओ जुटे मदद में
फिलहाल प्रशासन, बीएसएफ, सेना, एनडीआरएफ और कई एनजीओ लगातार राहत व बचाव कार्य में जुटे हुए हैं। लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया गया है और मेडिकल टीमें गांव का लगातार दौरा कर रही हैं। फिर भी कई ग्रामीणों का कहना है कि यह मदद पर्याप्त नहीं है और उन्हें लंबे समय तक पुनर्वास और पुनर्निर्माण में सहयोग की आवश्यकता होगी।

Source of News:- amarujala.com
सरकार से बड़ी उम्मीद
ग्रामीणों का कहना है कि साहूवाल पहले भी सीमांत इलाका होने के कारण कठिनाइयों का सामना करता आया है। घर क्षतिग्रस्त हो चुके हैं, पशु बीमार हैं और फसल पूरी तरह तबाह है। ऐसे में सरकार को चाहिए कि गांव के पुनर्निर्माण में विशेष सहयोग दे।
ग्रामीणों की मांग है कि मुआवजे के साथ-साथ टूटे-फूटे मकानों की मरम्मत, बीमार पशुओं के इलाज और राहत सामग्री के वितरण में पारदर्शिता सुनिश्चित की जाए। 356 लोगों की आबादी वाले गांव में 184 पुरुष व 172 महिलाएं हैं। गांव में कुल 60 परिवार हैं।

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