Bihar Rajya Sabha Election: बिहार विधानसभा चुनाव के परिणाम ने विपक्षी दलों को हिलाकर रख दिया है. इसका असर सिर्फ पटना ही नहीं, बल्कि दिल्ली तक भी देखने को मिलेगा. राज्यसभा के होने वाले चुनावों में भी तेजस्वी यादव को झटका लगना अब तय है.
Bihar Rajya Sabha Election: बिहार विधानसभा का चुनाव संपन्न हो चुका है. परिणाम सामने आ चुके हैं. नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस (NDA) ने प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में वापसी की है. जीत का जश्न पटना के साथ ही पूरे बिहार में मनाया जा रहा है. हर तरफ NDA के नाम के गुलाल उड़ रहे हैं. अब इस गुलाल का रंग दिल्ली में भी दिखेगा. विधानसभा चुनाव में तेजस्वी यादव को मिली करारी हार का असर इतनी जल्दी जाने वाला नहीं है. NDA की बंपर जीत से राज्यसभा चुनाव का गणित भी उलट-पुलट हो गया है. बिहार में साल 2028 तक राज्यसभा की कुल 10 सीटों के लिए चुनाव होना है. अब इन सारी सीटों का NDA के खाते में जाना तय है.
बिहार विधानसभा चुनाव में NDA की भारी जीत का असर अब आगामी राज्यसभा चुनावों में भी साफ दिखने लगा है. मौजूदा संख्या बल को देखते हुए NDA राज्य से होने वाले सभी 10 राज्यसभा सीटों पर कब्ज़ा जमा सकता है. यह पूरा फायदा नरेंद्र मोदी सरकार के शेष कार्यकाल में ऊपरी सदन में उसकी स्थिति को और मजबूत करेगा. बता दें कि एनडीए को इस बार के विधानसभा चुनाव में कुल मिलाकर 202 सीटें मिली हैं. अब केंद्र की राजनीति में NDA को इसका फायदा मिलना तय है.
10 में से 3 सीटें फिलहाल RJD के पास
बिहार की इन 10 सीटों में से फिलहाल 3 सीटें RJD के कोटे में हैं. नए समीकरण में NDA इन तीनों को भी अपने खाते में जोड़ सकता है. वर्तमान में NDA के पास राज्यसभा में 133 सांसद है और बिहार से तीन अतिरिक्त सीटें उसकी ताकत को निर्णायक रूप से बढ़ाएंगी. अगले वर्ष बिहार से राज्यसभा 5 सदस्यों का कार्यकाल पूरा हो रहा है. इनमें RJD के प्रेम चंद गुप्ता, एडी सिंह, JDU के डिप्टी चेयरमैन हरिवंश, रामनाथ ठाकुर और राष्ट्रीय लोक मोर्चा के उपेंद्र कुशवाहा शामिल हैं.
जान लें राज्यसभा चुनाव का गणित
राज्यसभा चुनाव के फॉर्मूले के मुताबिक, एक सीट जीतने के लिए किसी पार्टी को न्यूनतम 42 विधायकों के समर्थन की जरूरत होती है. बिहार विधानसभा में NDA के पास मौजूदा समय में 202 विधायक हैं. यानी पहले ही राउंड में NDA चार सीटें आराम से जीत लेगा.
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NDA को पांचवीं सीट भी मिलने की संभावना
RJD नेतृत्व वाला महागठबंधन 42 का आंकड़ा छूने की स्थिति में नहीं है. लिहाजा विशेषज्ञों का मानना है कि दूसरी पसंद (सेकंड प्रेफरेंस) वोटों की गिनती के बाद पांचवीं सीट भी NDA की झोली में जा सकती है. राज्यसभा चुनाव में हर मतदाता को सभी उम्मीदवारों को प्राथमिकता क्रम में नंबर देना होता है. यदि पहले प्रेफरेंस वोटों में बहुमत साफ नहीं होता, तो दूसरी प्राथमिकता वाले वोट निर्णायक भूमिका निभाते हैं और यही मेकेनिज्म इस बार NDA के पक्ष में जा रहा है.






