
लखीमपुर खीरी में निजी अस्पताल में शिशु की मौत हो गई। बेबस पिता थैले में शव लेकर डीएम की चौखट पर पहुंच गया। यहां अधिकारियों को बताया कि गलत इलाज से नवजात की मौत हो गई है। इस पर सीएमओ और एसडीएम ने महेवागंज पहुंचकर निजी हॉस्पिटल को सील कर दिया।
लखीमपुर खीरी के महेवागंज के एक निजी अस्पताल में डिलीवरी से पहले ही एक महिला के गर्भस्थ शिशु की जान चली गई। शिशु का शव थैले में लेकर पिता विपिन गुप्ता रोता-बिलखता हुआ शुक्रवार दोपहर 12 बजे डीएम दफ्तर पहुंच गया।
वहां बैठक कर रहे सीडीओ अभिषेक कुमार और सीएमओ डॉ. संतोष गुप्ता ने गलत इलाज का आरोप लगाने वाले विपिन की व्यथा सुनी। इसके बाद सीएमओ और एसडीएम ने मौके पर पहुंचकर गोलदार हॉस्पिटल सील कर दिया।
विपिन भीरा क्षेत्र के गांव नौसर जोगी का रहने वाला है। विपिन ने बताया कि उसने गर्भवती पत्नी रूबी (27) को बिजुआ पीएचसी में भर्ती कराया था। वहां चिकित्सकों ने हालत गंभीर बताते हुए जिला अस्पताल रेफर कर दिया।
रूबी की बहन ने अपने गांव की आशा कार्यकर्ता दीपा को पूरी बात बताई। दीपा ने रूबी को महेवागंज के गोलदार हॉस्पिटल में भर्ती कराने के लिए कहा। इस पर विपिन परिजनों के साथ रूबी को लेकर बुधवार देर रात करीब ढाई बजे बताए गए अस्पताल पहुंचा और भर्ती करा दिया।
‘नर्स ने पत्नी को जबरन अस्पताल से बाहर निकाला’
विपिन ने बताया कि वहां मौजूद डॉ. हुकूमा गुप्ता व डॉ. मनीष गुप्ता ने उससे 25 हजार रुपये जमा करने के लिए कहा। उस वक्त उस पर पांच हजार रुपये ही थे, उतने जमा करा दिए। इलाज के दौरान रूबी की तबीयत बिगड़ने लगी। यह देख बृहस्पतिवार दोपहर नर्स ने रूबी को जबरन अस्पताल से बाहर कर दिया।
शिशु की पेट में ही हुई मौत
जब दूसरे निजी अस्पताल में रुबी को दिखाया तो वहां पता चला कि गलत दवा की वजह से शिशु की पेट में ही मौत हो गई है। इसके बाद रूबी का ऑपरेशन करके मृत शिशु को गर्भ से निकाला गया।
इस घटना से व्यथित विपिन शुक्रवार दोपहर शिशु के शव को थैले में रखकर डीएम कार्यालय पहुंच गया। पूरी घटना सुनने के बाद सीएमओ और एसडीएम सदर अश्वनी कुमार सिंह बैठक छोड़कर महेवागंज पहुंचे और अस्पताल सील कर दिया।
साहब ! बच्चे को जिंदा कर दो इसकी मां को क्या जवाब दूंगा
बेटे की मौत के बाद पीड़ित पिता काफी देर तक भटकता रहा। हाथ में टंगे थैले में शिशु का शव लेकर पिता विपिन जब कलक्ट्रेट स्थित डीएम कार्यालय में चल रही बैठक में पहुंचा तो थैले में शव देखकर अधिकारियों के भी पसीने छूट गए।
अधिकारियों की चौखट पर पहुंचा विपिन रोता-बिलखता रहा। बीच-बीच में अपना दर्द समेटकर वह अधिकारियों से बस एक ही बात कहता रहा कि साहब किसी तरह बच्चे को जिंदा कर दो। इसकी मां दूसरे अस्पताल में भर्ती है। उसे बताया है कि बच्चे की हालत ठीक नहीं है, इसलिए दूसरी जगह भर्ती कराया है।
अधिकारियों का भी पसीज गया दिल
आप ही बता दो कि इसकी मां को क्या जवाब दूंगा। पीड़ित की इस व्यथा को सुनकर अधिकारियों का भी दिल पसीज गया। पीड़ित को सांत्वना देने के बाद सीएमओ डॉ. संतोष गुप्ता और एसडीएम सदर अश्विनी कुमार सिंह दलबल के साथ गोलदार अस्पताल पहुंचे। टीम ने जांच शुरू की। डीएम को मामले से अवगत कराया।
डीएम के निर्देश पर अस्पताल को सील कर दिया गया। वहीं, अस्पताल में भर्ती तीन मरीजों को जिला महिला अस्पताल शिफ्ट कराया। साथ ही कर्मचारियों को जरूरी कार्यवाही को पूरा करने के निर्देश दिए। अफसरों का कहना है कि जल्द ही अवैध अस्पतालों की जांच का अभियान चलाकर कार्रवाई की जाएगी।
प्रसूता के इलाज का खर्च उठाएंगी डीएम
डीएम के निर्देश पर एडीएम न्यायिक अनिल कुमार रस्तोगी ने अपनी टीम के साथ दूसरे निजी अस्पताल में भर्ती रूबी के स्वास्थ्य की जानकारी ली। साथ ही डॉक्टरों को निर्देश दिए कि उसे अच्छा इलाज मुहैया कराया जाए। डीएम दुर्गा शक्ति नागपाल ने इलाज का पूरा खर्च खुद वहन करने की जिम्मेदारी उठाने के लिए कहा। साथ ही परिजनों से बोलीं कि वह किसी प्रकार की चिंता न करें, पूरा जिला प्रशासन उनके साथ है।
सात वर्ष का है एक बेटा
विपिन के घर में सात साल बाद खुशी का मौका आया था, मगर पहले ही यह मौका छिन गया। विपिन का सात वर्ष का एक बेटा है। अब दूसरी संतान घर में आनी थी।
मरीज में खून की कमी थी। ऑपरेशन मेरे अस्पताल में हुआ भी नहीं है। प्रशासन ने एकतरफा कार्रवाई की है। सीसी कैमरे के फुटेज से मामला साफ हो जाएगा। विभाग किसी भी अस्पताल का पंजीकरण नवीनीकरण नहीं कर रहा है। इसलिए मेरे अस्पताल का भी पंजीकरण नवीनीकरण नहीं हुआ है। मनीष कुमार, संचालक, गोलदार हॉस्पिटल
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गोलदार हॉस्पिटल को सील कर दिया गया है। यह कार्रवाई फिलहाल अस्पताल का पंजीकरण का एक वर्ष नवीनीकरण न कराए जाने के कारण की गई है। शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया गया है। रिपोर्ट का अध्ययन करने के बाद अगली कार्रवाई पर फैसला लिया जाएगा। साथ ही अस्पताल में इलाज की भी जांच की जा रही है।